बाजार या मॉल से सब्जी लेते समय इन बातों का ध्यान रखने से सब्जी की गुणवत्ता भी बढ़ेगी और अच्छा स्वाद भी मिलेगा।

बाजार या मॉल में मिलने वाली सब्जियों को खरीदते वक्त अक्सर हम धोखा खा जाते हैं। इतने सजावटी और सुंदर तरीके से सब्जियों को पेश किया जाता है, कि देखने मे तो ऐसा लगता है कि अभी-अभी खेत से ताजी सब्जियां ही तोड़कर लाये हैं।

चमकीले सुंदर रंगों की सब्जियां मन को मोह लेती हैं और हम धोखा खा जाते हैं। दरअसल ये चमकदार व चटकीले रंगों वाली सब्जियां जिन्हें हम ताजी समझ कर खरीद लेते हैं, वो पता नहीं कितनी पुरानी व बासी होती हैं। इसका पता तो घर पहुंचकर सब्जी बनाते वक्त होता है।

आज इसी परेशानी को दूर करने के लिए हम कुछ ऐसे प्रयोग व तरीके बताने जा रहे हैं कि जिन्हें अपनाकर आप बासी व चमकीली सब्जियों के मायाजाल से निकलकर ताजी व फ्रेश सब्जियों का चुनाव कर सकते हैं।

भिंडी, पालक, आलू, गोभी, शिमला मिर्च प्याज आदि ऐसी कोई भी सब्जी क्यों न हो इनकी ताजी व अच्छे होने की अलग अलग पहचान होती है। बाजार या मॉल से सब्जी लेते समय इन बातों का ध्यान रखने से सब्जी की गुणवत्ता भी बढ़ेगी और अच्छा स्वाद भी मिलेगा।

आइए जानते हैं ताजी और हरी दिखने वाली सब्जियों का राज़ क्या है, और अच्छी व फ्रेश सब्जियों के पहचान करने के तरीके क्या हैं।

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हरी सब्जी को लेते समय ध्यान रखने योग्य बातें।

  • आपने अक्सर सुना होगा कि सब्जी धोते वक्त सब्जियों से रंग निकला या रात भर में सब्जियां रखे रखे ही बड़ी हो गई। या सब्जी घर लाने के चार घण्टे बाद ही गल गईं, बदबू आने लगी। यह रासायनिक परिवर्तन एक रसायन या कैमिकल से होता है। जिसे सब्जियों में मिलाया जाता है।
  • मैलाकाइट ग्रीन एक तरह का कैमिकल है। इसके प्रयोग से सब्जियां एकदम ताजा और चमकदार दिखती है। इसका प्रयोग मुख्‍य रूप से एंटीफंगल और एंटी-प्रोटोजोअल दवा के तौर पर किया जाता है। लेकिन ज्यादा पैसा कमाने व मुनाफाखोरी के चक्‍कर में सब्जियों को मैलाकाइट ग्रीन के मिश्रण में डाल दिया जाता है।
  • सन 2006 में अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्‍ट्रेशन (FDA) ने चीन से आयात होने वाले सीफूड में इसका पता लगाया था। जिस समय इसका पता अमे‍रिका को लगा था, उस समय उसने सीफूड में इसका प्रयोग बैन कर दिया था। इसे मटर, खीरे, हरी मिर्च, भिंडी और पालक को हरा दिखाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • अगर इसे खा लिया जाए तो शरीर पर इसका बुरा असर होता है। खाद्य वैज्ञानिकों की मानें तो मैलाकाइट ग्रीन का प्रयोग आज भी भारतीय फूड इंडस्‍ट्री में तेजी से हो रहा है। इसे कारसिनोजेन के तौर पर भी जानते हैं।
  • इसी समस्या के समाधान के लिए भारत मे (FSSAI) भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण की स्थापना की गई जो खाद्य सुरक्षा तथा मानक अधिनियम, 2006 के अन्तर्गत किया गया है। यह प्राधिकरण स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
  • एफएसएसआई की तरफ से जो वीडियो शेयर किया गया है उसके मुताबिक अगर आप अपनी सब्जियों को चेक करना चाहते हैं, तो इसका तरीका बहुत ही आसान है।
  • आपको एक रुई का टुकड़ा लेना है जो लिक्विड पैराफिन में डूबा हो। इसके बाद आपको इसे सब्‍जी के छोटे से टुकड़े पर रगड़ना है।अगर रूई का रंग हरा हो जाए तो फिर इसका मतलब आपकी सब्‍जी में मिलावट है। अगर ये रंग नहीं बदलती है तो फिर आपकी सब्‍जी एकदम सही है और इस पर कोई मिलावट नहीं की गई है।
  • डॉक्‍टरों के मुताबिक अगर आप malachite green से रंगी सब्जियों को खाते हैं तो इसके परिणाम स्वरूप आपको कई खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं।
  • एक्सपर्ट बताते हैं कि लोगों की कोशिश यही होनी चाहिए कि दाग व धब्बों वाली सब्जियों को नहीं खरीदना चाहिए। क्योंकि सब्जियों को कैमिकल्स की मदद से उपाजाने के कारण उसमें दाग-धब्बे आ जाते हैं। खासतौर पर खट्टी सब्जियों में नींबू आदि। यदि इनमें दाग लगा हो तो उसे खरीदने से बचना चाहिए।

नाखून से दबाकर जांच करें, भिंड़ी के कोने की फली (डंडी या नोक) को तोड़ें

हमारे बुजुर्ग व एक्सपर्ट बताते हैं कि लौकी आदि सब्जियों की जांच करने के लिए आप उसमें नाखून दबाकर देखें। यदि वो ताजा होगा तो नाखून आसानी से उसमें चला जाएगा। यदि पुराना होगा तो नहीं जाएगा।

ठीक इसी प्रकार भिंडी की जांच करने के लिए उसके कोने वाले भाग को तोड़ें यदि टूट जाएगा तो यह ताजा होगा। यदि नहीं टूटेगा तो ताजा नहीं होगा। ऐसे में आपको बासी सब्जियां खाने से बचना चाहिए।

आम के मौसम में आपने यह गौर किया होगा कि कई लोग आम को सूंघकर खरीदारी करते हैं। यह फलों-सब्जियों के चयन का अच्छा तरीका है। आप भी सब्जियों को सूंघकर खरीदें। बुजुर्गों के अनुसार जिस सब्जी या फल का चटक सुगंध आएगा वो खाने में उतना ही स्वादिष्ट होता है।

अक्सर अदरक, हरी मटर, परवल, शकरकंद, भिंडी, पालक, गोभी, शिमलामिर्च व अन्य हरी सब्जियों में मिलावट हो सकती है? यहाँ तक कि सब्जियों का वजन बढ़ाने के लिए सब्जियों के अंदर पानी भी भर दिया जाता है।

मैलाकाइट ग्रीन नामक केमिकल से रंगकर परवल को चमकदार बनाया जा सकता है। वहीं अदरक को कास्टिक से साफ करके बेचा जा रहा है। इससे अदरक बिल्कुल सफेद दिखने लगता है। इसके अलावा ऑक्सीटोसिन से सब्जियों में असमय वृद्धि की जा रही है। ये सब नुकसानदेह हो जाता है।

ताजी सब्जियां खरीदने के टिप्स

सब्जियों की खरीदारी करते समय , सब्जियों की कठोरता और रंग प्रमुख कारक होते हैं। उन्हें चुनें जो जितना संभव हो उतना दृढ़ (ठोस) या कुरकुरा हो और रंग में सुसंगत हो। फलों के विपरीत, सब्जी की ताज़गी में महक एक बड़ा कारक नहीं होती है, हालाँकि ऐसी कोई भी चीज़ जिसकी महक बहुत मीठी या खट्टी होती है, उसके प्रमुख होने की संभावना होती है। सब्जियों की पहचान का विशिष्ट तरीका होता है। जो आपको बताती हूँ।

शिमला मिर्च की पहचान ऐसे करें

शिमला मिर्च सख्त होनी चाहिए और उसमें कोई नरम धब्बे नहीं होने चाहिए। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस रंग की शिमला मिर्च खरीद रहे हैं। पूरी सतह पर ठोस (दबाने पर कठोर हो) ऐसी ही शिमलामिर्च खरीदें। या टूटे चटके व बिखरे हुए तनों (डंडी) वाली शिमलामिर्च न खरीदें।

फूलगोभी और ब्रोकोली की पहचान ऐसे करें।

रंग इन सब्जियों की ताजगी का एक प्रमुख लक्षण है। ब्रोकोली हल्के हरे रंग की होनी चाहिए और फूलगोभी हमेशा एकदम सफेद व सख्त होनी चाहिए। गोभी एकदम गसी हुई होनी चाहिए, छितरी हुई गोभी बिल्कुल अच्छी नहीं होती इसमें कीड़े होते हैं।

फूलगोभी एक ऑफ-व्हाइट, किसी भी पीले या भूरे रंग की नहीं होनी चाहिए। इसमें से अच्छी सुगंध आनी चाहिए। दुर्गन्धयुक्त गोभी सड़ी हुई होती है।

पत्तागोभी की पहचान ऐसे करें।

पत्तागोभी हमेशा सख्त व भारी होना चाहिए। खरीदते इसे दबाकर देखें। पोली नहीं होनी चाहिए। सख्त पत्तागोभी आकार में छोटी किंतु वजन में भारी होती है। वहीं दबाने से दब जाने वाली पत्तागोभी पोली होती है। यह आकार में बड़ी किंतु वजन में हल्की होती है। गोभी में छेद नहीं होना चाहिए। छेद होने का मतलब है कि अंदर कीड़े है। ऐसी पत्तागोभी कभी न खरीदें।

अच्छी मकई कैसे पहचाने।

मकई की भूसी हल्की हरी और नम दिखनी चाहिए, किसी भी प्रकार के भूरे या सूखे से मुक्त होना चाहिए। चाहे भूसी के साथ या बिना भूसी के खरीदा जाए, उसके दाने के अंदर का हिस्सा ( गुठल ) को छूने पर मोटा और दृढ़ (कठोर या सख्त) होना चाहिए।

जड़ वाली सब्जियां को कैसे पहचाने या कैसे खरीदें।

गाजर , चुकंदर, आलू, और प्याज छूने में सख्त और किसी भी प्रकार की दरार या नरम धब्बे से मुक्त होने चाहिए। यदि जड़ें अभी भी जुड़ी हुई हैं, तो वे मजबूत और कुरकुरी होनी चाहिए, किसी भी मुरझाई हुई या सुखी हुई नहीं होनी चाहिए।


पत्तेदार साग (भाजी) को कैसे खरीदें।

जितना संभव हो सके हरे रंग की कई परतों का आकलन करने के लिए अपनी उंगलियों का उपयोग करें। केल , लेट्यूस के पत्ते और डंठल दोनों , और पत्तागोभी की पत्तियों में किसी भी तरह के धब्बे नहीं होने चाहिए। ऐसे किसी भी धब्बे से बचें जो भूरे रंग के होने लगते हैं। मुरझाई हुई व सूखी हुई साग न खरीदें।

आलू लेते समय इन बातों का विशेष ध्यान रखें।

आलू समय के साथ (पुराना होने पर) अधिक मीठा होने लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आलू में मौजूद कार्बोहाइड्रेट धीरे धीरे शर्करा में परिवर्तित होने लगता है। आलुओं को सूर्य के प्रकाश में छोड़ देने से यह क्रिया शीघ्रता से होने लगती है।

इस तरह के आलू कम स्वादिष्ट होते हैं। साथ ही शर्करा की अधिकता से स्वास्थ्य की दष्टि से उतने उपयुक्त नहीं रह जाते हैं। खासकर डायबिटीज के रोगियों के लिए ये हानिकारक होते हैं।

आलुओं में कार्बोहाइड्रेट के शर्करा में परिवर्तन की क्रिया को शिथिल करने के लिए आजकल कुछ रसायनो का प्रयोग किया जाता हैं। ये ग्रोथ रिटारडेन्ट हार्मोन हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होते। ऐसे आलू आजकल बाजार में खूब मिलने लगे हैं। सिर्फ इनकी कीमत कुछ अधिक होती है।

मीठे पुरानेआलुओं के कुछ गुण नीचे दिए गए है, जो इन्हें पहचानने में मददगार हो सकते हैं।

  • नये आलुओं की त्वचा बहुत पतली व नर्म होती है। इतनी कि जरा सी रगड़ लगते ही यह छिल जाती है। यह छाल समय के साथ मोटी होती जाती हैं। इसी लिए पुराने आलुओं को पीलर द्वारा छीलना पड़ता हैं।
  • मिठास बढ़ने के साथ साथ आलुओं में अंखुए फूटने लगते हैं। जो आलू उगने लगे हो वे अवश्य ही मीठे होंगे।
  • मीठे आलुओं में छिलके के नीचे हरा रंग दिखाई देने लगता हैं। ऐसा क्लोरोफिल के कारण होता है। आलू में हरापन (बहुत कम हरा भी) निश्चित ही शर्करा की अधिकता बतलाता है।
  • उत्तर भारत में नवंबर से फरवरी तक बाजार में नये आलू मिलेंगे क्योकि आलू सर्दियों की फसल है। गर्मियों में सिर्फ पुराना आलू ही मिलता है। हाँ, इन दिनों हार्मोन ट्रीटेड आलू भी लिए जा सकते हैं।
  • अक्सर लोग जाने-अनजाने में हरा आलू का सेवन कर लेते हैं जो सेहत के लिए नुकसानदायक है। हरे आलू का सेवन भूलकर भी नहीं करें। इन आलू का सेवन करने से सिर दर्द और कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।
  • अंकुरित आलू में उच्च स्तर का ग्लाइकोअल्कलॉइड होता है, जो अधिक मात्रा में खाने पर मनुष्यों के लिए विषैला हो सकता है। अतः अंकुरित हो चुके आलू का उपयोग करने से हमेशा बचें।

अच्छे प्याज का चयन इस प्रकार से करें।

  • प्याज को उसके रंगों के आधार पर पहचान करें।प्याज कई रंगों में आती है जैसे पीली, सफेद, नारंगी, गुलाबी, बैगनी आदि। ऐसे में अगर आपको थोड़ी सी मीठी प्याज चाहिए तो नारंगी खरीदे और वहीं अगर नॉर्मल प्याज चाहिए तो गुलाबी या फिर बैगनी खरीद सकते हैं।
  • प्याज खरीदते समय उसकी महक पर जरूर ध्यान दें। अगर प्याज सड़ी होगी तो उससे खराब महक आ रही होगी।। खासतौर पर गर्मियों के मौसम में ठीक ढंग से स्टोर ना हो पाने के कारण प्याज अंदर से सड़ जाती है।
  • अगर प्याज की ऊपरी परत हटी हुई हैं तो बिल्कुल भी इसे ना खरीदे। यह जल्द ही खराब हो जाएगी। इसके साथ ही काटते समय अंदर का एक भाग सड़ा हुआ होता है उसे हटाना पड़ेगा जिससे प्याज बर्बाद भी होगी।
  • कभी भी अंकुरित प्याज नहीं खरीदना चाहिए। दरअसल लंबे समय तक प्याज रखी रहने के कारण वह अंकुरित हो जाती है। ऐसे में प्याज अंदर से सड़ने लग जाती है। इसके साथ ही प्याज का स्वाद भी बदल जाता है।
  • हर फलों की तरह की प्याज को केमिकल में पकाया जाता है। जिस कारण प्याज में कालापन ज्यादा ह्यो जाता है। इस तरह की प्याज बहुत नुकसान दायक होती है। इन्हें खरीदने से बचे।

मूली के इस गुण की जांच करने के बाद ही खरीदें।

  • मूली न ज्यादा पतली हो और न ही ज्यादा मोटी होनी चाहिए। लगभग एक इंच व्यास वाली मूली अच्छी होती है । यह अधिक कोमल और कुरकुरी होगी।
  • ऐसी मूली से बचें जो नरम, मुरझाई सी व मटमैली रंग की हों, जिनमें सफेद या भूरे रंग के निशान हों, या काले धब्बे हों।
  • यदि मूली के शीर्ष पीले, सड़े या चिपचिपे हैं, तो मूली पुरानी है या ठीक से सरंक्षित नहीं की गई है।
  • यदि रखने से पहले मूली का साग ( हरे पत्ते) निकाल दें।
  • मूली में लगे हुए पत्तों को देखकर ताजे होने की पहचान की जा सकती है। पत्ते ताजे व करारे हों तो मूली ताजी होती है।
  • मूली एंटीऑक्सिडेंट और कैल्शियम और पोटेशियम जैसे खनिजों से भरपूर होती है।
  • मूली प्राकृतिक नाइट्रेट्स का एक अच्छा स्रोत है जो रक्त प्रवाह में सुधार करता है।

अच्छी हरी मटर की पहचान कैसे करें।

यदि आप असली और नकली मटर का पता लगाना चाहते हैं तो इस आसान तरीके से जांच करें।

  • आप भी मटर खरीदते समय धोखा खा जाती है तो भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा सुझाए गए तरीके से असली और नकली मटर की पहचान करके ही मटर को खरीदें।
  • आर्टिफिशियल रंग मिलाकर मटर को हरा और चमकीला बनाया जाता है।
  • मटर में मिलावट की पहचान के लिए उन्हें आधे घंटे तक बर्तन में डुबा कर रख दें। अगर पानी रंगीन हो जाए तो इसका मतलब है कि मटर मिलावटी है।
  • यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप जो मटर खरीद रहे हैं वह ताजा है, गोले पर करीब से नज़र डालें। उन्हें चमकदार, दृढ़ और चमकीला हरा होना चाहिए। एक पीला या धब्बेदार छिलका मटर के पुराने होने का लक्षण हैं।
  • हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि छिलकों की तुलना में मटर का वजन छिलकों के साथ ज्यादा होता है। छोटे, गोल और हरे, मटर बहुत अच्छे व ताजे होते हैं।

 

सामान्य बातें

  • सब्जियों की खरीदारी करने का सबसे अच्छा तरीका? ऋतुओं के साथ ही है।यदि आप मौसमी फल व सब्जियां खरीदेंगे तो आप ताजी व फ्रेश सब्जियां पा सकते हैं। इनमें मिलावट की संभावना बहुत कम होती है।
  • किसानों के बाजार में खरीदारी करके भी आप ताजी सब्जियां पा सकते हैं। हमेशा खरीदारी करते समय, जब भी संभव हो स्थानीय स्तर पर उगाई गई सब्जियां खरीदें।
  • सब्जी खरीदते समय जागरूक रहकर अपनी आंखों से भली प्रकार देखकर सब्जियों का चुनाव करें। बिना किसी काले धब्बे या फफूंदी के एक चमकीले, समान रंग की सब्जी चुनें ।
  • कभी-कभी परिवहन के दौरान सब्जियों में खरोंच, या क्षतिग्रस्त त्वचा हो सकती है। ये धब्बे तत्काल खराब हो सकते हैं। लेकिन झुर्रीदार त्वचा या मुरझाई हुई सब्जियों के साथ ये धब्बे सब्जियों के बासी व सड़े होने का संकेत देते हैं। ऐसी सब्जियां बिल्कुल भी न खरीदें।
  • सब्जियों से आने वाली महक भी सब्जी में केमिकल होने की सूचना देती है। अच्छी तरह सूंघने के लिए सब्जी को सावधानी से अपनी नाक के पास घुमाएं। सब्जियां विभिन्न प्रकार के रसायनों को छोड़ती हैं, जैसे एस्टर और सल्फर यौगिक, जो गंध से पहचाने जा सकते हैं।
  • सामान्य तौर पर, ताजा सब्जियों से ताजा गंध आएगी। कुछ सब्जियां, विशेष रूप से गोभी परिवार की, ताजा होने पर हल्की तीखी गंध होती है। यह विशिष्ट गोभी की गंध इन सब्जियों की उम्र के साथ तेज हो जाती है।
  • इस तरह सूँघने का परीक्षण उपभोक्ताओं को पुरानी बासी या खराब होने का पता लगाने में भी मदद कर सकता है ।
  • सब्जियों का पतलापन या मटमैलापन सभी प्रकार की उपज में सब्जियों की ताजगी की कमी को बताता है।

अंत में अगर आप इस तरह की मिलावट की सब्जी का उपयोग करते हैं, तो इससे आपके शरीर में कार्सिनोजेनेसिस, म्यूटेनेसिस, क्रोमोसोमल, फ्रेक्चर और यहां तक की रेस्पिरेटरी समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं।
वैसे भी अनेक प्रदूषण जीवन मे मौजूद है, उस पर यदि भोजन भी प्रदूषित हो जाये तो जीवन कष्टकारी हो जाएगा।

ऐसे में समझदारी के साथ अपने बुजुर्गों के व विशेषज्ञों की सलाह को मानकर हम अपना व अपने परिवार का जीवन कष्टकारी होने से बचा सकते हैं। इसीलिए बाजार या मॉल से सब्जी लेते समय इन बातों का ध्यान रखने से सब्जी की गुणवत्ता भी बढ़ेगी और अच्छा स्वाद भी मिलेगा। आगे भी हम आपको ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सजग करते रहेंगे। आशा आपको हमारी यह जानकारी अवश्य उपयोगी साबित होगी। अपने विचार व विषय से संबंधित सुझाव हमें कमेंट द्वारा अवश्य प्रेषित करें।

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